...once upon a time

...once upon a time

sawan barsa karta tha,

gulshan mehka karta tha,
aangan mein chhyi-chhap kar-ke,
bachpan chehka karta tha.

Wednesday, 4 August 2010

Hire in 8th semester, NASSCOM suggests companies and colleges

http://www.bhaskar.com/article/RAJ-OTH-placement-in-the-eighth-semester-1219975.html

विजय खंडेलवाल | जयपुर 
इस वर्ष भी नास्कॉम (नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज) ने आईटी और सॉफ्टवेयर कम्पनियों को सुझाव दिया है कि वह इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट्स में केवल आठवें सेमेस्टर में ही प्लेसमेंट करें। ऐसा ही ईमेल इन्हीं दिनों आरटीयू से सम्बद्ध इंस्टीट्यूट्स को भी मिला है। नास्कॉम का कहना है कि प्लेसमेंट आठवें सेमेस्टर में होंगे तो स्टूडेंट्स अंत तक अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे पाएंगे। वहीं कम्पनियां अपने प्रोजेक्ट्स को ध्यान में रखकर उसके अनुसार सही रिक्रूटमेंट कर पाएंगी।

पिछले वर्ष भी कम्पनियों और इंस्टीट्यूट्स को यह सुझाव दिया गया था। लगभग सभी इंस्टीट्यूट्स ने इस सुझाव पर काफी हद तक अमल भी किया था, मगर इस बार इस पर इंजीनियरिंग एजुकेशन से जुड़े लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रिया है। कई कॉलेजों से यह जानकारी मिली है कि कम्पनियां आठवें सेमेस्टर में तो नहीं, लेकिन सातवें सेमेस्टर के अंत तक ही प्लेसमेंट करना चाहती हैं।

पिछले वर्ष जरूरी था सुझाव

इंस्टीट्यूट्स संचालकों का कहना है कि पिछले वर्ष तक यह सुझाव काफी मायने रखता था। जेईसीआरसी फाउंडेशन के डायरेक्टर अर्पित अग्रवाल का कहना है कि पिछले वर्ष रिसेशन का प्रभाव था। प्लेसमेंट में गैप बन रहा था इसलिए आठवें सेमेस्टर में प्लेसमेंट होने से यह गैप पूरा हो सका। वहीं स्टूडेंट्स की डिग्री के दौरान उसकी क्वालिटी को बनाए रखने के लिए भी यह जरूरी है। इस बार रिक्रूटमेंट का सिनेरियो अच्छा है। इसी कारण सैशन की शुरुआत में ही कम्पनियों ने कैम्पस पहुंचना शुरू कर दिया है। ऐसी स्थिति में कॉलेज कम्पनियों को लौटा भी नहीं सकते, क्योंकि इससे स्टूडेंट्स को अच्छी कम्पनियों में जगह मिल रही है।

कम्पनियां कर सकेंगी सही परख

आरटीयू के इंस्टीट्यूट्स के लिए यह सुझाव व्यावहारिक भी है, क्योंकि हर सेमेस्टर का रिजल्ट अभी तक देरी से ही आता है। पूर्णिमा इंजीनियरिंग कॉलेज की प्लेसमेंट ऑफिसर मीनू सक्सेना कहती हैं, ऐसे में जितनी देरी से प्लेसमेंट होंगे स्टूडेंट्स के उतने ही ज्यादा सेमेस्टर के रिजल्ट कम्पनियों के सामने होंगे। इस तरह कम्पनियां स्टूडेंट्स की सही परख कर पाएंगी। वह कहती हैं कि इस बार भी नास्कॉम के सुझावों को फॉलो किया जाएगा। इससे स्टूडेंट्स अंतिम सेमेस्टर तक अपनी पढ़ाई के प्रति अवेयर भी रहेंगे। जहां इंस्टीट्यूट नास्कॉम के सुझावों को मानना चाहते हैं, वहीं कम्पनियां खुद इंस्टीट्यूट्स में सातवें सेमेस्टर में ही आने की मंशा बना चुकी हैं, क्योंकि वे चाहती हैं कि हर इंस्टीट्यूट के बैस्ट स्टूडेंट्स वह रिक्रूट करें। कुछ बड़ी कम्पनियां अगस्त में भी शहर में कैम्पस रिक्रूटमेंट करेंगी।

कॉम्पिटीशन पर फोकस

सातवें सेमेस्टर में कैम्पस सलेक्शन आयोजित करने से एक परेशानी यह भी थी कि यह दिसंबर के आसपास होता है। इसी दौरान कॉमन एडमिशन टेस्ट और फरवरी में ग्रेजुएट एप्टीट्यूट टेस्ट इन इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट्स में होते हैं। इससे स्टूडेंट्स प्रेशर में आ जाते हैं। आठवें सेमेस्टर की शुरुआत में कैम्पस सलेक्शन होने से स्टूडेंट्स पर यह दबाव नहीं रहेगा।

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